पांच साल में 357 प्रत्याशियों ने पार्टी बदलकर विधानसभा चुनाव लड़ा, पढ़िए इनमें से कितने जीत पाए?
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही दल बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है। फिलहाल यूपी में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। यहां योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री से लेकर कई विधायक पार्टी छोड़कर दूसरे दल की तरफ बढ़ चुके हैं।
आमतौर पर नेताओं को लगता है कि पार्टी बदलने से वह चुनाव जीत जाएंगे। लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। राज्यसभा का चुनाव छोड़ दें तो लगभग हर चुनाव में दल बदलकर चुनाव लड़ने वाले कम ही प्रत्याशी जीत पाते हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की २०१६ से २०२० के बीच की रिपोर्ट देखें तो सारी हकीकत आइने की तरह साफ दिखने लगती है। रिपोर्ट के अनुसार इन पांच साल के अंदर ३५७ नेताओं ने पार्टी बदलकर चुनाव लड़ा। इनमें १७० यानी ४८ज्ञ् ही चुनाव जीत पाए। १८७ नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। जीतने वाले भी ज्यादातर वह प्रत्याशी रहे जो दूसरी पार्टी छोड़कर भाजपा में पहुंचे थे। पार्टी ने ऐसे ६७ नेताओं को टिकट दिया था, जिसमें ५४ जीत गए।
लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा और हैरान करने वाला है। इसमें कुल १२ नेताओं ने एक पार्टी छोड़कर दूसरे के टिकट पर चुनाव लड़ा और सभी हार गए। विधानसभा उपचुनाव में दल बदलने वाले नेताओं की परफॉरमेंस अच्छी रही है। ऐसे ४८ नेताओं ने चुनाव लड़ा और इसमें ३९ यानी ८१ज्ञ् को जीत मिली।
राज्यसभा चुनाव में १००ज्ञ् रिजल्ट – राज्यसभा चुनाव में दल बदलकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को १००ज्ञ् सफलता मिली है। इसके पीछे सदस्यों की तय संख्या का वोट करना होता है। इसमें चुनाव पब्लिक को नहीं बल्कि सदन के नेताओं को ही करना होता है। यही कारण है कि पार्टी को काफी हद तक मालूम रहता है कि अगर वह किसी प्रत्याशी को चुनाव में उतारता है तो उसके चीज की संभावना कितने प्रतिशत है?
मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में विधायकों के दल बदलने के चलते सरकार गिर गई थी।
२०१९ लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के पांच सांसदों ने अन्य दलों में जाने के लिए पार्टी छोड़ दी थी।
दूसरे दलों के सबसे ज्यादा विधायक भाजपा में आए
पार्टी दूसरे दल के कितने विधायक आए?
भाजपा १८२
कांग्रेस ३८
टीआरएस २५
तृणमूल कांग्रेस १६
एनपीपी १६
जदयू १४
बसपा ११
सपा ०८
सबसे ज्यादा कांग्रेस विधायकों ने छोड़ा साथ
पार्टी कितने विधायकों ने साथ छोड़ा?
कांग्रेस १७०
भाजपा १८
बसपा १७
टीडीपी १७
सपा १२
(आंकड़े २०१६ से २०२० तक के हैं। इस दौरान कुल ४०५ विधायकों ने अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी जॉइन कर ली।)