प्रधानों के अधिकारों के बिना ग्राम का विकास असंभव-आनंद
प्रधानों के अधिकारों के बिना ग्राम का विकास असंभव-आनंद
मतीन रजा…..
लालबर्रा- जिला ग्राम प्रधान/सरपंच संघ के विधिक संरक्षक अधिवक्ता आनंद बिसेन ने अपने ग्राम प्रधान, सरपंच संघ के साथियों के वित्तीय अधिकार और वैधानिक हक में वर्तमान परिस्थितियों को लेकर जारी वक्तव्य में बताया कि विगत एक माह पूर्व प्रदेश सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर पूर्ववर्ती सरकार के आरक्षण और परिसिमन के विरूद्ध महामहिम राज्यपाल की मुहर से एक अध्यादेष आनन-फानन जल्दबाजी में पारित किया जिसके विरोध में सरकार अपने ही चक्रव्यूह में खुद फस गई और प्रदेश के पंचायत त्रिस्तरीय जनप्रतिनिधियों के विरोध दबाव और न्यायालय के आदेश पर मजबूरन अपने ही अध्यादेश को निरस्त कर वापस लेना पड़ा। चुनाव रद्द कर दिये गये अनावश्यक प्रथम चरण के पंचायत प्रत्याशियों का समय और आर्थिक रूपये पैसे की क्षति हुई जिससे पूरे प्रदेष में एक ओर पंचायत जनप्रतिनिधियों में आक्रोश भी व्याप्त है। पंचायत जनप्रतिनिधि, प्रत्याशी और ग्रामीणजन के बीच प्रदेश सरकार का यह सुनियोजित, सोची समझी रणनिति और ॉाड़यंत्र उजागर हो गया, उसके बाद प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 04 जनवरी को पूर्ववत व्यवस्था सुचारू ग्रामीण क्षेत्र की बनाते हुए वापस ग्राम प्रधान/सरपंचों को सचिव के साथ वित्तिय अधिकार ग्राम विकास के लिए दिये जाने के आदेष सभी जिला कलेक्टर और सीइओ जिला पंचायत को जारी किये गये। उसके बाद किये गये सचिवों का स्थानांतरण संलग्नीकरण भी समाप्त कर दिया गया और निर्वाचन नामावली की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई,
किंतु पुनः प्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्राम प्रधानों के वित्तीय अधिकारों पर रोक लगा दी गई और अधिकार सचिव एवं पंचायत समन्वयक को दे दिये गये जबकि पंचायत समन्वयक ऐसा कोई अधिकार लेने के पक्ष में नहीं है। वास्तविक तौर पर पूरा देष पूरा लोकतंत्र ग्रामों से चलता है ग्राम विकास से ही क्षेत्र जिला और देश प्रदेश का विकास संभव है। ग्राम की जनता के लिए उनका मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, उनका विधायक सांसद, मंत्री सब कुछ ग्राम का प्रधान सरपंच ही होता है। एक ओर जहां वर्तमान में प्रदेश सरकार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सारी व्यवस्था पूर्ववत कर दी गई तो फिर पूर्ववत तत्काल ग्राम प्रधानों को वैधानिक रूप से उनके ग्राम विकास कार्यों के लिए वित्तीय अधिकार प्रदान करना चाहिए अन्यथा ग्राम के जनहित के विकास कार्य होना असंभव है। वर्तमान में कोरोना की तीसरी लहर के चलते तो महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पूर्व की दोनों कोरोना लहरों की तरह गांव संभालने की ग्रामीणों को बचाने की ग्राम प्रधान/सरपंचों की होगी उसके लिए उनके वित्तिय अधिकार देना आवश्यक है अन्यथा ग्रामीणों को बहुत क्षति होगी और गांव का विकास नहीं हो सकेगा। वर्तमान में ही पिछले एक माह में ही ग्रामों में विभिन्न समस्याओं को लेकर ग्रामीणजन निरंतर परेषानियों का सामना कर रहे है और ग्राम प्रधानों को वित्तिय अधिकार न होने से कुछ नहीं हो सक रहा है। ग्रामीणजन वर्तमान में निरंतर परेशान और सरकार के प्रतिदिन के तुगलकी फरमानों से बहुत आक्रोशित है जिसको लेकर प्रदेष की राजधानी भोपाल में सरपंच ग्राम प्रधान संघ के सैकड़ो साथियों ने सरकार के खिलाफ लामबंद होकर प्रर्दशन कर अपनी मांग रखी है और भविष्य में बड़े उग्र आंदोलन भी होंगे। श्री बिसेन ने ग्राम प्रधान और ग्रामीण जनता के हित में प्रदेष सरकार और पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री से न्यायहित में गांव के सर्वांगीण विकास के लिए पूर्ववत सुचारू व्यवस्था के अनुरूप सचिव और ग्राम प्रधान के संयुक्त हस्ताक्षरित वित्तिय अधिकार वापस लौटाने की मांग की है अन्यथा सरकार तत्काल ग्रामीण जनता और गांव के विकास के लिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराये ताकि जल्द से जल्द जनता को उनका ग्रामीण जनसेवक मिल सके और लोकतंत्र की रक्षा हो सके। अन्यथा यह जनता के साथ और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ घोर अपमान और अन्याय की स्थिति होगी जिसका बदला आम जनता प्रदेश शासन से लेगी।