महाराष्ट्र फिर हुआ शर्मशार, आदिवासी महिला ने झोली में दिया बच्चे को जन्म, नवजात शिशु की मौत
भिवंडी। एक बार फिर महाराष्ट्र को इस खबर से शर्मशार होना पड़ा है. खबर है कि मुंबई से सटे ठाणे जिले के भिवंडी तालुका में एक आदिवासी महिला के नवजात बच्चे की सड़क के अभाव में मौत हो गई है. चूंकि दिघाशी गांव के पाड़ा में सड़कें नहीं थीं, इसलिए गर्भवती आदिवासी महिला को झोली में अस्पताल ले जाना पड़ा। लेकिन समय से अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण इस महिला ने झोली में ही बच्चे को जन्म दे दिया। मगर नवजात शिशु को अपनी जान गंवानी पड़ी। महिला का नाम दर्शना महादू फरले है। आपको बता दें कि मानसून के दौरान कोई भी वाहन इस गांव तक नहीं पहुंच सकता है। इसलिए आदिवासी हमेशा परेशान रहते हैं। आश्चर्य की बात ये है कि जब देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है तो ठाणे जैसे मेट्रो शहर से चंद किलोमीटर की दूरी पर ऐसी शर्मनाक घटना निश्चित रूप से स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के लिए शर्मशार करने वाली है.
- कुछ दिन पहले पालघर की एक घटना
कुछ दिन पहले मुंबई से सटे पालघर जिले में भी ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना हुई थी। मोखाडा तालुका के सुदूर बोटोशी ग्राम पंचायत में, एक गर्भवती महिला की स्वास्थ्य देखभाल की कमी के कारण इसके जुड़वां बच्चों की पलक झपकते ही मौत हो गई। इतना ही नहीं इस महिला को अस्पताल पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने इस संबंध में मुद्दा उठाया था. राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि घटना को संज्ञान में लिया जाएगा और अगले कुछ दिनों में उपाय किए जाएंगे।
संतोष झा- ८.२५/०३ सितंबर/२०२२/ईएमएस