सिटी बस: चार साल में टर्मिनल बना न वर्कशाप


बिगड़ा सेटिंग का खेल तो निगम नहीं दिला पाया सूत्र सेवा को सेवा
छिंदवाड़ा । लोगों को परिवहन की बेहतर सुविधा देने के लिए अमृत योजना के तहत नगर निगम ने सिटी बस सेवा तो शुरू करा दी लेकिन सेवा देने वाली बसों को सेवा नहीं दे पाया है। शहर में आलम यह है कि संचालन शुरू होने के चार वर्ष बाद भी बसों को ठहरने के लिए न तो टर्मिनल मिल सका है और न ही उनके चेकअप के लिए खुद का वर्कशाप ही नसीब हो सका है।
ध्यान रहें कि कम दर पर यात्रियों को परिवहन सेवा देने के लिए प्रदेश सरकार ने सिटी बस सेवा की नीव रखी थी। इसी के तहत शहर से भी सिटी बस सेवा का संचालन शुरू किया गया है। वर्तमान में छिंदवाड़ा से 27 बसों का संचालन हो रहा है जो शहर, जिले से लेकर अन्य जिलों तक संचालित हो रही है। इसके अलावा जबलपुर भोपाल की बसें भी जिले में आ रही है। खुद का टर्मिनल न मिलने से निजी ट्रवल्स संचालकों एवं सूत्र सेवा की बसें एक ही स्थान से यात्री भरती है जिससे दोनों बस संचालकों के बीच कई बार विवाद हुए है यहां तक की मारपीट भी हो चुकी है। बताया जा रहा है कि मापदंडों के तहत नगर निगम को सिटी बस के लिए अलग से टर्मिनल के अलावा उसके रखरखाव को लेकर वर्कशाप भी बनाकर देना था। जो अब तक शहर में नहीं बन सका है।
ठेके के बाद विवादों में टर्मिनल
नगर निगम ने शहर में सिटी बस टर्मिनल का निर्माण पीपी मोड से चीर घर की भूमि पर शुरू कराया था। ठेका लेने वाली कंपनी ने शुरूआत भी कर दी थी लेकिन उसके बाद राजनैतिक हस्ताक्षेप और ठेके में गडबडी के आरापों के चलते सिटी बस टर्मिनल का काम शुरू होते ही बंद हो गया है। उसके बाद एक बार फिर काम शुरू हुआ लेकिन सिटी बस टर्मिनल आज तक नहीं बन सका है।
वर्कशाप के लिए मिली जगह
सिटी बस सचालकों की लगातार मांग के बाद नगर निगम वर्कशाप के लिए बर्मन भूमि फटका मशीन प्लाट के पास आवंटित कर दी है। यहां वर्क शाप के लिए टीन शेड, अंडरवाटर टेंक, दो रूम एवं एक फ्लोर तैयार किया कराया जाना था बताया जा रहा है कि निगम ने ठेके देने के बाद ठेकेदार को वर्क आर्डर भी जारी किया था यह काम 21 लाख रूपए की लागत से होना था। वह भी आज नहीं हो सका है।

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