बच्चों को शिक्षा से जोड़ने सिविल सोसाइटी दमोह का अनोखा प्रयास

शासन द्वारा आदिवासियों को लाभान्वित करने के लिए बनाई गई सभी को शिक्षा, चिकित्सा, घर, शौचालय की उपलब्धता हो आदि जैसी कई योजनाओं को पलीता लगाने वाला सच देखा जा सकता है।
आदिवासियों के पास सर छुपाने को खुद का बनाया एक छोटा सा आशियाना है। लेकिन आशियाने के नाम पर सिर्फ लकड़ी और मिट्टी की खुद की बनाई हुई दीवारें, और कभी भी गिर सकने वाली लकड़ी की छत जिसे कम से कम घर तो नहीं कहा जा सकता, ऐसे ठिकानों में पल रही है कई आदिवासी जिंदगियां।
प्रशासन की तमाम योजनाओं और शहरी चमक-दमक से कोसों दूर है कई आदिवासी परिवार।
जिनके नाम पर शासन द्वारा करोड़ों की योजनाओं का वर्णन अखबारों में तो बड़ी धूमधाम से किया जाता है। लेकिन हितग्राहियों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि प्रशासन मौन तो जिम्मेदार कौन?
जानकारी लगते ही सिविल सोसाइटी की टीम ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया और अपनी क्षमता अनुसार पिछड़े क्षेत्र के बच्चे पढ़ सकें इसीलिए रेडियो वितरण किए गए।
आदिवासियों के गांव में हाथों से बने कच्चे जिन मकानों में वो रहते हैं उन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्मी, ठंड और बरसात में यहां जिंदगियां कैसे पलतीं होंगी।
सिविल सोसायटी दमोह की तरफ से बटियागढ़ ब्लॉक अंतर्गत सादपुर ग्राम के आदिबासी बच्चो को शिक्षा के लिए 50 रेडियो वितरित किये गए। सिविल सोसायटी की तरफ से अजित उज्जैनकर,धर्मेन्द्र बेबाक राय,सुरेंद्र राय,अंकुश टिंकी श्रीवास्तव के साथ राजकमल डेविल लाल उपस्थित रहे।।

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